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Showing posts from November, 2025

કુરુક્ષેત્ર

 ૧૮ અક્ષૌહિણી સેના અને ૪૮ કોસનું મેદાન :👇 હમણાં મેં ૧૮ અક્ષૌહિણી સેના વિશે વાત કરી ત્યારે મારા ઘણા મિત્રોના ભ્રમર ઉંચા થઈ ગયા હતા. સ્વાભાવિક છે, આજના "વર્ક ફ્રોમ હોમ" ના જમાનામાં જ્યારે ૧૦ લોકોની મીટિંગ માટે પણ કોન્ફરન્સ રૂમ નાનો પડતો હોય, ત્યારે લાખોની સેના ક્યાં સમાણી હશે એવો પ્રશ્ન થવો વ્યાજબી છે. ઘણાને એમ છે કે કુરુક્ષેત્ર એટલે આપણા સોસાયટીના કોમન પ્લોટ જેવડું કોઈ મેદાન હશે...! પણ ના, સત્ય કંઈક અલગ છે. જે મિત્રોને લોજિક અને પ્રૂફ જોઈએ છે, તેમના જ્ઞાનમાં વધારો થાય તે હેતુથી આ 'ગ્રાઉન્ડ રિપોર્ટ' અહીં રજૂ કરું છું. મહાભારતનું યુદ્ધ જે ભૂમિ પર લડાયું હતું, તે કુરુક્ષેત્ર કોઈ સ્ટેડિયમ નહોતું પણ એક વિશાળ ભૌગોલિક વિસ્તાર હતો. ૧. શાસ્ત્રો અને સ્થાનિક ઇતિહાસ મુજબ કુરુક્ષેત્રનો વિસ્તાર ૪૮ કોસ (48 Kos) નો હતો. હવે તમે પૂછશો કે કોસ એટલે શું...? તો ગણિત માંડી લો: ૧ કોસ = આશરે ૩ કિલોમીટર. એટલે કે, યુદ્ધનું મેદાન આશરે ૧૪૦ થી ૧૫૦ કિલોમીટર ના પરિઘમાં ફેલાયેલું હતું. હવે વિચારો, ૧૫૦ કિલોમીટરના વિસ્તારમાં ૧૮ તો શું, ૩૬ અક્ષૌહિણી સેના પણ આરામથી સમાઈ જાય...! ૨. જો તમારે ગૂગલ મેપ પર આ...

Leh Ladakh લેહ લદાખ

 गाटा लूप्स – मनाली से लेह मार्ग का रोमांचक हिस्सा गाटा लूप्स हिमाचल प्रदेश के लाहौल क्षेत्र में मनाली-लेह हाइवे (NH-3) पर स्थित एक बेहद चुनौतीपूर्ण और रोमांचक सड़क हिस्सा है। यह मार्ग अपनी 21 तीखे हेयरपिन मोड़ों के लिए प्रसिद्ध है, जो इसे दुनिया की सबसे ऊंची और रोमांचक सड़कों में से एक बनाते हैं। यहाँ की सड़क लगभग 16,600 से 17,500 फीट (5,060 से 5,334 मीटर) की ऊँचाई तक पहुँचती है और यह नाकी ला और लाचुंग ला के बीच, सरचू से करीब 25-30 किलोमीटर पहले आता है। मनाली से गाटा लूप्स की दूरी लगभग 290-300 किलोमीटर है, जो रोहतांग, केलांग और बाराचाला होते हुए सरचू के रास्ते पहुँचती है। लेह से यह दूरी लगभग 180-190 किलोमीटर है। मार्ग संकरी और कच्ची-पक्की दोनों तरह की सड़कों से होकर गुजरता है, इसलिए बारिश या बर्फबारी में कीचड़ और पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है। सामने से वाहन आने पर रुकना या पीछे करना पड़ सकता है, इसलिए धीरे और सावधानी से चलना आवश्यक है। मोबाइल नेटवर्क यहाँ ज्यादातर उपलब्ध नहीं होता, हालांकि BSNL का कभी-कभी सिग्नल मिल सकता है। ऊँचाई के कारण यहां एक्यूट माउंटेन सिकनेस (AMS) का खतरा...

स्पीति spiti valley

 ये साइंस-फिक्शन मूवी का सेट नहीं है… यह है The Eco Domes, Spiti! Only in Rs.1500  स्पीति की कठोर लेकिन मंत्रमुग्ध कर देने वाली वादियों में बसे ये अनोखे डोम स्टे आपको ऐसे अनुभव देते हैं, जैसे आप धरती नहीं… किसी दूसरी दुनिया में हों। यहाँ का हर नज़ारा, हर हवा का झोंका, हर सुबह और हर रात—सब कुछ “मैजिक + एडवेंचर” का मिला-जुला एहसास है। The Eco Domes, Spiti — जहाँ आसमान आपका छत और तारे आपकी रातों के साथी बन जाते हैं** ✨🏔️❄️ जब मैं पहली बार *The Eco Domes* पहुँची, तो दिल सच में ठहर गया। सामने अनंत फैली बर्फीली चोटियाँ, पैरों के नीचे ठंडी धरती, और बीच में ये खूबसूरत ग्लास डोम्स—जो सूरज की पहली किरण से लेकर रात के तारों तक हर क्षण को फ्रेम में कैद कर लेते हैं। यहाँ रहना सिर्फ एक स्टे नहीं, एक **एलीट, ऑफबीट, हिमालयन एक्सपीरियंस** है—जो भारत में कम ही जगहों पर मिलता है। क्या चीज़ बनाती है Eco Domes को इतना खास?** 🌌 **360° Sky Views** रात होते ही पूरा आसमान आपकी खिड़की बन जाता है। तारे, आकाशगंगा, उल्कापिंड… सब अपनी पूरी चमक में दिखते हैं। 🛏️ **Cozy Warm Interiors** बाहर कितना भी ठंड ...

डलहौज़ी delhousi ડેલહાઉસી

 डलहौज़ी में 200 रु में बजट डोरमेट्री। डलहौजी में भारत सरकार द्वारा संचालित युथ होस्टल बजट ट्रैवलर्स के लिए सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। यहाँ आप मात्र 220 रुपये में डोरमेंट्री में ठहर सकते हैं, जबकि 450 रुपये में रूम उपलब्ध है। होस्टल में कुल 92 डोरमेंट्री बेड और सिर्फ 2 प्राइवेट रूम हैं, इसलिए रूम अक्सर बुक रहते हैं। खाने के लिए मात्र 80 रुपये में भोजन की प्लेट भी मिल जाती है। यह होस्टल केंद्र सरकार के "नो प्रॉफिट नो लॉस" कॉन्सेप्ट पर चलता है, इसलिए यहां का पूरा वातावरण साफ सुथरा और सुरक्षित होता है। होस्टल डलहौजी बस स्टैंड और सुभाष चौक के बिल्कुल पास स्थित है, जिससे घूमना बेहद आसान हो जाता है। यहाँ पठानकोट से पिकअप और ड्रॉप के साथ डलहौजी का टूर भी उपलब्ध है। इस होस्टल में भारतीय ही नहीं, विदेशी ट्रैवलर्स भी रुकते हैं। शाम को बोर्न फायर होता है, संगीत बजता है और सामने एक बड़ा मैदान है जहां आप खेल कूद व आराम कर सकते हैं। अगर आप स्टूडेंट हैं, तो अपना ID कार्ड दिखाने पर 50 रुपये की छूट भी मिलती है। होस्टल के कमरे, डोरमेंट्री और बाथरूम पूरी तरह साफ सुथरे रखे जाते हैं। अधिक जान...

સોમનાથ Somnath

 सोमनाथ जाने के लिए आपको वेरावल जंक्शन का ट्रेन टिकट बुक करना होगा, वहां से सोमनाथ ८ किमी दूरी पर स्थित है। वेरावल जंक्शन का स्टेशन कोड VRL है। द्वारका जाने के लिए आपको द्वारका जंक्शन का टिकट बुक करना होगा, द्वारका जंक्शन का स्टेशन कोड DWK है।  वेरावल जंक्शन से द्वारका जाने के लिए हररोज रात को 11.05 बजे ट्रेन है उसमें आप टिकट बुक करवा सकते है, तो सुबह आप 7 बजे द्वारका पहुंच जाएंगे। ट्रेन का रूट थोड़ा लंबा है किन्तु रात का सफर है इसलिए आरामदायक रहता है। उसके अलावा आप सोमनाथ से द्वारका प्राइवेट टेक्सी या लक्जरी बस एवं GSRTC बस से भी जा सकते है।  सोमनाथमें रुकने के लिए आप सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित लीलावती अतिथि भवन, माहेश्वरी अतिथि भवन, सागर दर्शन (समुद्र के तट के पास) के गेस्ट हाउस में मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट सोमनाथ डॉट org से ऑनलाइन भुगतान करने एडवांस में रूम बुकिंग करवा सकते है। किसी फेक वेबसाइट या अन्य पोर्टल से इन अतिथि भवन में रूम बुकिंग नहीं होती इसलिए सावधान रहे। इन तीनों गेस्ट हाउस में रहने एवं भोजन/नाश्ते की उत्तम सुविधा है।  सोमनाथमें मुख्य मंदिर सो...

જેસલમેર jesalmer

 अगर आप जैसलमेर में बजट स्टे ढूंढ रहे हैं तो ये पोस्ट आपके लिए है। गीता आश्रम जैसलमेर शहर में स्थित बजट धर्मशाला है जहाँ यात्रियों को कम कीमत में ठहरने की व्यवस्था मिलती है। यह आश्रम जैसलमेर फोर्ट, पटवों की हवेली और डेजर्ट सफारी जैसे प्रमुख स्थानों के करीब होने के कारण घूमने वालों के लिए एक सुविधाजनक जगह है। साधारण कमरे और कम्युनिटी हॉल उपलब्ध होने की वजह से यह परिवार, समूह और बजट ट्रैवलर्स के लिए खास तौर पर उपयोगी है। यहाँ विभिन्न प्रकार के कमरे उपलब्ध हैं जिनकी कीमतें काफी किफायती हैं।  दो बेड कूलर रूम में 2 सिंगल बेड, अटैच टॉयलेट बाथ और कूलर मिलता है और इसका किराया ₹400 है।  दो बेड नॉन एसी रूम जिसमें नॉन अटैच लेट बाथ है, ₹200 में मिलता है।  कम्युनिटी नॉन एसी हॉल भी उपलब्ध हैं जिनमें 10 व्यक्ति क्षमता वाला हॉल ₹1200,  20 व्यक्ति क्षमता वाला हॉल ₹2000 और 100 व्यक्ति क्षमता वाला बड़ा हॉल ₹10000 में बुक होता है।  जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त गद्दे की सुविधा भी दी जाती है। कमरों के बाद उपलब्ध सुविधाओं की बात करें तो यहाँ भोजन सुविधा नहीं है और पार्किंग भी उपलब्ध न...

જયપુર

  ​💖 ગુલાબી શહેર જયપુર: એક શાહી સફરનો અનુભવ! 💖 ​જયપુર, એટલે કે ભારતનું 'ગુલાબી શહેર' (Pink City), તેના ઇતિહાસ, ભવ્ય મહેલો અને સમૃદ્ધ સંસ્કૃતિના વારસા સાથે પ્રવાસીઓને હંમેશા મોહિત કરે છે. મેં તાજેતરમાં જયપુરની એક યાદગાર સફર કરી અને અહીંના સાત શ્રેષ્ઠ સ્થળોની મુલાકાત લીધી, જેનો અનુભવ હું તમારી સાથે શેર કરું છું. ​૧. હવા મહેલ: હજારો બારીઓનો શ્વાસ ​મારી સફરની શરૂઆત જયપુરના પ્રતીક સમાન હવા મહેલ થી થઈ. ૧૭૯૯ માં બનેલો આ મહેલ ખરેખર એક અજાયબી છે! ભગવાન કૃષ્ણના મુગટ જેવો તેનો આકાર અને લાલ-ગુલાબી રેતીયા પથ્થરની તેની પાંચ માળની ભવ્ય ઇમારત જોઈને હું આશ્ચર્યચકિત થઈ ગયો. આ મહેલમાં ૯૫૩ ઝરૂખા (બારીઓ) છે, જેમાંથી ઠંડી હવા અંદર આવે છે. કલ્પના કરો, પડદામાં રહેલી શાહી સ્ત્રીઓ આ જાળીમાંથી શહેરની રોનક અને તહેવારો જોતી હશે! આ સ્થાપત્ય તેમની ગોપનીયતા જાળવીને પણ તેમને દુનિયા સાથે જોડે છે. ​૨. અંબર ફોર્ટ: પહાડોમાં છુપાયેલો વૈભવ ​ત્યારબાદ હું જયપુરથી થોડે દૂર આવેલા અંબર ફોર્ટ પહોંચ્યો. આ કિલ્લો પહાડની ટોચ પર માઓટા તળાવના કિનારે આવેલો છે, અને તેનું દ્રશ્ય ખરેખર મનમોહક છે. રાજપૂત અને મોગલ શૈલીના મિશ...