કેદારનાથની માહિતી

 बाबा केदारनाथ यात्रा हेतु सहयोगी पोस्ट

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जैसे जैसे 4 धाम के कपाट बंद होने का समय नजदीक आ रहा है तो ग्रुप के कुछ सदस्य अपना यात्रा कार्यक्रम निर्धारित करने के प्रयास में जुट गए है, इसलिए केदारनाथ से सम्बंधित प्रश्न पूछे जा रहे है, इसी कारण केदारनाथ यात्रा से सम्बंधित यह पोस्ट लिखने का मन हुआ प्रयास है कि अधिक से अधिक प्रश्नों के उत्तर इस पोस्ट के माध्यम से आप तक पहुंचे ।


■◆ पहला विकल्प :-

आप देश के किसी भी शहर से आ रहे है आपको हरिद्वार या ऋषिकेश तक आना है, यहां तक आने के लिये आप बस और ट्रेन का विकल्प ले सकते है, इससे आगे की यात्रा आप बस से कर सकते है, जिसके लिए आप हरिद्वार पहुंचते ही मुख्य बस अड्डे से शाम को ही अपनी सीट केदारनाथ के लिए बुक करा सकते है जिसके लिए आपको सोनप्रयाग का टिकट मिलेगा, सुबह बस के चलने का समय मालूम कर निश्चिन्त होकर हर की पौड़ी पर गंगा स्नान और गंगा आरती का आनंद लेकर रात्रि विश्राम करें, सुबह अपनी बस पकड़े और यात्रा का श्रीगणेश करें, यह बस आपको बीच में चाय नाश्ता व लंच के लिए स्टॉपेज देती है और आप शाम 5 बजे तक केदारनाथ हेतु सोनप्रयाग पहुंच जाते है । सोनप्रयाग से केदारनाथ की जानकारी पोस्ट में आगे मिलेगी ।


■◆ दूसरा विकल्प - अपने वाहन से (कार या बाइक से) आप यह यात्रा कर सकते है, आप 4, 6, 8 लोगों के ग्रुप में बाइक से इस यात्रा को कर सकते है जिसमें बेहद आनंद है, आप हरिद्वार तक बस या ट्रेन से आये है लेकिन आगे का सफर आप बाइक से करना चाहते है तो आपको ऋषिकेश से बाइक या स्कूटी प्रतिदिन के हिसाब से रेंट पर मिल जाएगी ये भी विकल्प है, अब आगे इस यात्रा में आप अपनी मर्जी से दृश्यों को अपने कैमरे या मोबाइल में कैद करते हुए पहाड़ो, घाटियों, झरनों के मनोरम दृश्यों के साथ चाय की चुस्कियों का लुत्फ लेते हुए इस दूरी को कवर कर सकते है जिसके लिए आप बाइक से हो या अपनी गाड़ी से हरिद्वार से सुबह जल्दी ही फ्रेश होकर सुबह 5 बजे निकल ले, ऋषिकेश से 70 किमी की दूरी देवप्रयाग संगम पर पहला ब्रेक ले और भागीरथी व अलकनंदा के पावन संगम स्नान का पुण्य लाभ ले, यहाँ से आप बाबा केदार के लिए जल भी ले सकते है जिसके लिए यहां घाट के ऊपर ही कैन मिल जाती है या आप घर से लेकर जा सकते है, घाट से ऊपर आकर चाय नाश्ता करें फिर यहां से आप 46 किमी आगे माता धारी देवी के दर्शन करें, दर्शन बाद आप यहां लंच कर सकते है, यहां से 20 किमी रह जाता है रुद्रप्रयाग, यहां भी लंच कर सकते है, यहीं से केदारनाथ के लिए आपको बाएं जाना है अर्थात सोनप्रयाग, जो कि लगभग 72 किमी रह जाता है और यहीं से ही दाएं आप बद्रीनाथ जी के लिये मार्ग चुन सकते है ।

अब आप लगभग शाम 5 से 6 तक सोनप्रयाग पहुंच जाएंगे, बाइक को पार्किंग में लगा दे, शुल्क 100 रुपये है, यहीं आप बजट के अनुसार होमस्टे या कमरा लेकर भोजन उपरान्त रात्रि विश्राम करें, (आप सोनप्रयाग से 2 किमी पहले सीतापुर में भी रूक सकते है अच्छी व्यवस्था मिल जाएगी), जैसा आपको उचित लगे, अगले दिन सुबह जल्दी उठकर आप यहां अपने सामान की सुरक्षा हेतु होटल या गेस्टहाउस मालिक से बात कर रूम छोड़कर अपना सामान जमा कराए या आपको अगर रूम ही सही लग रहा हो तो रूम को ही अपने पास रखे, यहाँ से थोड़ा जल्दी निकलकर आप पैदल भी 15 से 20 मिनट में टैक्सी स्टैंड सोनप्रयाग बड़े पुल तक पहुंच सकते है, यहीं से आपको गौरीकुंड के लिए टैक्सी मिलेगी जो आपको 20 से 25 मिनट में पहुंचा देगी गौरीकुंड, किराया 50 रुपये प्रति सवारी है ।


■◆ पैदल यात्रा :- गौरीकुंड से केदारनाथ का यह ट्रैक 18 किमी का है, आप यहां गौरीकुंड में चाय नाश्ता कर गौरी माता का आशीर्वाद ले पैदल यात्रा शुरु कर दे यदि आप सुबह 7 बजे यह यात्रा शुरू करते है तो आप शाम 5 तक बाबा के धाम पहुंच जाएंगे, प्रयास करें कि आप यह यात्रा पैदल ही करें माना कि कठिन है लेकिन इतना नही कि आप कर ही नही सकते, यदि आपकी मजबूरी है तो ही खच्चर को कष्ट दीजिए, मैं जब गया था तो अपने ग्रुप के 4 लोगों को समझाने में सफल हुआ पैदल के लिए जो खच्चर से यात्रा करने पर अड़े हुए थे, लेकिन उन्हें इतना आनंद आया कि बाद में पैदल के निर्णय पर बहुत खुश हुए और बोले कि इतना भी कठिन नही है कि हम 18 किमी यह दूरी न तय कर सके, वास्तव में अपना अनुभव यह है कि 18 किमी की दूरी में मात्र 5 से 6 किमी की चढ़ाई ही कठिन है, बाकी बड़े आराम से तय की जा सकती है। केदारनाथ की इस पैदल यात्रा के लिए अपने पास रखे पिट्ठू बैग जिसमें थोड़े ड्रायफ्रूट्स रखे (काजू , बादाम, मुनक्का), बिस्किट, चॉकलेट रख सकते है लेकिन अपनी आवश्यक दवाएं अवश्य रखे, ध्यान रहे कि बैग में केवल जरूरी ही सामान हो, फालतू वजन बिल्कुल न हो, रेनकोट अवश्य साथ में हो, यहां पैदल चलते हुए गला बहुत सूखता है इसलिए एक खाली पानी की बोतल हाथ में ही रख ले, पूरे ट्रेक पर मीठे पानी के झरने है जिसके आगे बिसलरी भी फेल है, बस थोड़ा थोड़ा भरते रहे और आवश्यकतानुसार घूंट घूंट पीते रहे, लेकिन पानी केवल गला सूखने पर ही थोड़ा थोड़ा पिये, इसमें आप ग्लूकोज़ (हरे पैकेट वाला इलेक्ट्रॉल) मिला सकते है बहुत काम की चीज है, ध्यान रहे कि ना ज्यादा देर विश्राम करें न ही लगातार चले, सांस फूलती महसूस हो तो 5 मिनट रुककर चले, रास्ते में  चाय नाश्ते व भोजन की पर्याप्त व्यवस्था है,  जैसे ही आप केदारनाथ पहुंचे तो जाते ही सबसे पहले रुकने की व्यवस्था करें, आप अकेले है तो GMVN के टैंट ले सकते है, अधिक लोग है तो कमरा ले आपकी इच्छा है अपने बजट के अनुसार रुकने की व्यवस्था के बाद आप आरती का आनन्द ले, केदारनाथ मंदिर के ठीक सामने ही दाएं कोने पर एक भोजनालय है जिसका भोजन उत्तम है और चाय भी, थोड़ा महंगा आपको लग सकता है जो कि विचार का विषय नही है आप समझते होंगें, अब आप रात्रि विश्राम के बाद  सुबह 5 बजे रेडी होकर लाइन में लगे और दर्शन करें, यदि बाबा का पूजन करने की इच्छा हो तो किसी पण्डित जी से शाम को जाते ही सुबह के पूजन के लिए आप बात कर सकते है उनसे दक्षिणा भी तय कर ले। पूजन व दर्शन के बाद आप पीछे भीमशीला के दर्शन करें और वहीं शंकराचार्य जी की मूर्ति के भी दर्शन करें । अपनी वापसी समय से सुनिश्चित करें सुबह 8 या 9 बजे भी यदि आप चलते है तो गौरीकुंड तक आप शाम 3 बजे तक आ जायेंगे, यहाँ भोजन कर सकते है उसके बाद आप टैक्सी पकड़े और सोनप्रयाग आ जाये जहां आपने कमरा लिया हुआ है क्योंकि आपका शेष सभी सामान तो वहीं है । अब आप विश्राम करें । यदि आपको सुबह हरिद्वार या ऋषिकेश वापसी करनी है तो आप बस स्टैंड जाकर सुबह की टिकट अवश्य ले ले आपको सुविधा रहेगी ।

■◆ त्रियुगीनारायण दर्शन :- चूंकि आप सोनप्रयाग में है तो आपको बता दूं कि सोनप्रयाग से ही आपके लिए एक और अलौकिक मन्दिर के दर्शनों का विकल्प है जिसे कहते है त्रियुगीनारायण मन्दिर, यह सोनप्रयाग से अलग एक रोड़ जाती है जो कि केवल 13 किमी की दूरी है, यहां आप अपनी कार, बाइक या फिर टैक्सी से जा सकते है टैक्सी सोनप्रयाग से ही उसी मार्ग की स्टार्टिंग से आपको मिल जाएगी, त्रियुगीनारायण मन्दिर वह पावन स्थान है जहां माता पार्वती व महादेव शिव का विवाह ब्रह्मा जी एवं विष्णु जी की उपस्थिति में हुआ था, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस अग्नि के फेरे भोलेनाथ शिव व पार्वती माता ने लिए थे वह युगों युगों से आज तक जल रही है जिसके दर्शनों से बड़ा पुण्य मिलता है, साथ ही यहां एक कुंड है जिसका जल लेकर श्रद्धालु लेकर जाते है मान्यता है कि यह बहुत सारे गम्भीर रोगों को ठीक करने की शक्ति रखता है और कोरोना कॉल में बहुत से लोगों ने यहां पहुंचकर इस जल को ग्रहण किया था तब से यह मंदिर और अधिक चर्चा में आया है । सोनप्रयाग से आप 3 घण्टे में त्रियुगीनारायण दर्शन कर वापसी कर सकते है, इसके बाद आप आगे का कार्यक्रम समयानुसार निर्धारित कर सकते है ।

■◆ बद्रीनाथ जी जाने के लिए :- यदि आपको अब यहां से बद्रीनाथ जी जाने की भी इच्छा हो रही है तो यहां से सुबह सीधी बस भी बद्रीनाथ जी जाती है जो शाम से पहले ही आपको बद्रीनाथ जी पहुंचा देगी, इसके अलावा अपने वाहन (कार - बाइक) से आप चोपटा - मंडल - चमोली मार्ग से बद्रीनाथ जी के लिए जा सकते है लेकिन यह मार्ग सिंगल है और घने पहाड़ी जंगल से होकर गुजरता है, इसके  अलावा दूसरा मार्ग वाया रुद्रप्रयाग है जिससे  भी समय उतना ही लगना है यहाँ से आप चमोली, जोशीमठ, गोविंदघाट व पांडुकेश्वर होते हुए बद्रीनाथ जी पहुंच जाएंगे ।


■◆ बाइक हेतु जानकारी :- बाइक का इंजन,  दोनों टायर, चेन सेट, हेडलाइट, इंडिकेटर, साइड मिरर ok हो, इंजन ऑइल नया पड़ा हुआ हो, नए ब्रेक शू हो, साथ में पम्प, एक एक्सट्रा टयूब, एक्स्ट्रा प्लग, बाइक की एक एक्सट्रा चाबी (मेन लॉक Key) व पंक्चर किट रखें, सभी डॉक्यूमेंट साथ में हो, हेलमेट दोनों लोगों पर हो, प्रत्येक 45 से 50 किमी पर 10 मिनट का रेस्ट बाइक को अवश्य दे, स्वयं भी 10 कदम की चहलकदमी करें, थकान का एहसास यदि हो तो मुँह धोते रहे, चाय व पानी पीते रहे, ताजे पानी से गीला रुमाल करके दोनों ऑंखो पर 10 - 10 सेकेंड के लिए रखें तब आगे बढे, पहाड़ो में अंधेरा होने से पहले ही रुकने का स्थान देख ले, रात में बाइक चलाने से बचे । इन सभी सावधानियों के साथ अपनी स्प्लेंडर 100 CC से 2 बार केदारनाथ, 3 बार बद्रीनाथ, 2 बार यमुनोत्री व 4 बार गंगोत्री कर चुका हूं । पूरी पोस्ट अनुभव के आधार पर लिखी गयी हैं 🙏


केदारनाथ के कपाट प्रत्येक वर्ष भैयादूज पर बन्द होते है, सबसे बढ़िया समय इस यात्रा का सितम्बर व अक्टूबर होता है हालांकि समय न मिलने के कारण मैं सदैव इस यात्रा को जुलाई (श्रावण माह की शिवरात्रि) में करते है इस दौरान हमें केवल बारिश से बचने के लिए सावधानियां रखनी होती है बाकी कोई समस्या नही आती, कमरा व भोजन भी अच्छे से मिलता है और भीड़ व महंगाई से भी थोड़ी राहत मिल जाती है ।


(संलग्न फ़ोटो क्रमशः 1- देवप्रयाग संगम से भागीरथी नदी, 2- धारी देवी मंदिर के बराबर में झूला पुल, 3- बाबा केदार दर्शन, 4- चोपटा के आसपास कहीं, 5- सरस्वती नदी उद्गम स्थल, यात्रा समय - जुलाई - 2022 )


"आपकी यात्रा मंगलमय हो"

जय बाबा केदार 🙏🚩

✍️ Sonu Chauhan  मुजफ्फरनगर

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